जिले के 279 बूथों में दिखेगी महिला सशक्तिकरण की झलक
मतदान दल के रूप में जिम्मेदारी मिलने पर है खुशी
कोरबा – अतीत…का वह एक ऐसा समय भी था जब दुनियां के कुछ देशों में महिलाओं को वोट देने तक का भी अधिकार नहीं था…लेकिन यह हमारा देश भारत है… एक ऐसा देश… जहां अलग-अलग धर्म और जाति के लोग निवास करते हैं…यहां की बोली, संस्कृति और परम्पराओं में भी विविधता है…कुछ इन्हीं समाहित विविधताओं वाले देश की अपनी भी एक पहचान है और वह पहचान है यहां का संविधान…यहां का लोकतंत्र। दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले इस देश में रहने वाले भारतीयों को अधिकार है कि वह अपने पसंद का जनप्रतिनिधि चुने और अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल लोकतांत्रिक तरीके से कर सके। वह चाहे पुरूष हो या महिला या फिर तृतीय लिंग..सभी को 18 वर्ष की आयु पूरी करने के साथ ही मतदान करने का संवैधानिक अधिकार है..। वर्षों पहले कुछ देशों में भले ही महिलाओं को वोट देने से दूर रखा गया, लेकिन यह समय के साथ शिक्षित होकर जागरूक होती, अपने अधिकारों की ओर आगे बढती महिलाओं की पहचान है कि चुनाव के मैदान में खड़ी होने के साथ ही मतदान कराने का दायित्व भी सम्हालना शुरू कर दिया है। लोकतंत्र के इस पर्व में महिलाओं की हिस्सेदारी और जिम्मेदारी कोरबा जिले में न सिर्फ जीता-जागता उदाहरण है, अपितु नारी सशक्तिकरण की झलक भी है जो कभी पुरूषों के हाथों थीं। खास बात यह भी है कि इस बार कोरबा लोकसभा अंतर्गत कोरबा विधानसभा के 249 मतदान केंद्रों सहित जिले के अन्य 30 संगवारी केद्रों में न सिर्फ महिला सशक्तिकरण की झलक देखने को मिलेगी, अपितु सभी बूथों में मतदान सम्पन्न कराने महिलाएं ही महती जिम्मेदारी निभाती नजर आयेंगी। मतदान दल के रूप में जिम्मेदारी सम्हाल रही महिलाओं को खुशी है कि उन्हें लोकतंत्र के इस पर्व में मतदान कराने की बड़ी जिम्मेदारी मिली है। लोकसभा निर्वाचन 2024 अंतर्गत कोरबा में मतदान 7 मई को प्रातः 7 बजे से शाम 6 बजे तक होना है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी अजीत वसंत के निर्देशन में यह तैयारी लगभग अंतिम चरण में है। कोरबा लोकसभा के अंतर्गत कोरबा विधानसभा सीट में इस बार मतदान कराने के लिए जिन अधिकारी-कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई है, उनमें सभी महिलाएं शामिल है। कोरबा विधानसभा के 249 बूथों पर लगभग 1150 महिला कर्मचारी होंगी। इसके साथ ही 69 माइक्रों आब्जर्वर, अनेक सेक्टर अधिकारी, सुरक्षा की जिम्मेदारी भी महिलाओं के हाथों सौंपी गई है। जिले के अन्य तीन विधानसभा में 10-10 संगवारी मतदान केंद्र भी बनाएं गए हैं। इन संगवारी मतदान केंद्रों में भी कुल 180 महिलाओं की ड्यूटी लगी है। जिले में अब तक पुरूष कर्मचारी-अधिकारी ही मतदान कराते आ रहे हैं, कुछ स्थानों पर महिलाओं की डयूटी पहले भी लगाई जा चुकी है लेकिन यह पहली बार है कि किसी एक विधानसभा सीट के सभी बूथों पर पीठासीन अधिकारी से लेकर मतदान अधिकारी एक, मतदान अधिकारी दो और मतदान अधिकारी तीन के रूप में महिलाएं ही होंगी।
महिला अधिकारी निभा रही है बड़ी जिम्मेदारी
वैसे तो लोकतंत्र के इस महापर्व में अक्सर पुरूष अधिकारी और कर्मचारी अब तक बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन करते आ रहे हैं। यह पहला अवसर है कि कोरबा लोकसभा अन्तर्गत विधानसभा कोरबा में निर्वाचन कार्य की संपूर्ण जिम्मेदारी मतदान दल के रूप में महिलाएं निर्वहन करेंगी। वहीं नगर निगम आयुक्त श्रीमती प्रतिष्ठा ममगई आईएएस, विगत विधानसभा निर्वाचन 2023 में उप जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में जिम्मेदारी सम्हाल चुकी सुश्री सीमा पात्रे, एडीशनल एसपी श्रीमती नेहा वर्मा, समाज कल्याण अधिकारी सिनीवाली गोयल, उद्यानिकी अधिकारी आभा पाठक, अंतव्यवसायी से निधि शिंदे, इंजीनियर यामिनी देवांगन, सीमा साहू, जूली तिर्की, सुश्री शिखा ठाकुर जैसी अनेक महिलाएं निर्वाचन कार्य में निरन्तर सेवाएं दे रहीं हैं। वहीं लोकसभा निर्वाचन में मतदान दल में शामिल पीठासीन अधिकारी नीतू तिवारी, मतदान दल की अधिकारी पुष्पा राठौर और मास्टर ट्रेनर श्रीमती ज्योति शर्मा सहित अन्य महिला मतदानदल का कहना है कि निर्वाचन में भागीदारी गौरव की बात है। हम सभी ने प्रशिक्षण भी हासिल कर लिया है और निर्वाचन कार्य कराने में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है।
कोरबा विधानसभा सीट में है सर्वाधिक महिला मतदाता लोकतंत्र का यह पर्व बिना महिलाओं के भागीदारी अधूरी है। कोरबा लोकसभा अंतर्गत कुल आठ लाख 15 हजार 292 महिला मतदाता है, वही कोरबा जिले में चार लाख 70 हजार 793 तथा कोरबा के विधानसभा में सर्वाधिक एक लाख 30 हजार 816 महिला मतदाता है। निर्वाचन आयोग द्वारा विगत कुछ चुनाव में संगवारी बूथ बनाकर महिला मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है, वहीं कोरबा जिलें में भी संगवारी बूथ के अलावा कोरबा विधानसभा के सभी बूथों में महिलाओं को जिम्मेदारी मिलने से मतदान के लिए एक अलग माहौल बनने के साथ महिला सशक्तिकरण की दिशा में नई पहल की गई है। इसे लेकर महिलाओं में भी उत्साह है।